Goel Sahitya (गोइल साहित्य)

से तात्पर्य है बुंदेली और हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार 'श्री अभिनन्दन गोइल' द्वारा सृजित साहित्य, जिसमें उनके द्वारा लिखीं गईं और प्रकाशित तथा अप्रकाशित हिन्दी और लोकभाषा बुंदेली की विभिन्न पुस्तकें, आलेख व कविताएं हैं।

श्री अभिनन्दन गोइल

संक्षिप्त परिचय

इंजीनियरिंग स्नातक,संवेदनशील समाजसेवी एवं बुंदेली और हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार श्री अभिनन्दन कुमार गोइल का जन्म 10 नवम्बर 1948 को टीकमगढ़, म. प्र. (भारत) में हुआ था।आपके पिता प्रसिद्ध समाजसेवी,स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. दादा मगन लाल जी गोइल थे।
श्री अभिनन्दन गोइल मानव सेवा को समर्पित संस्था लायन्स क्लब, टीकमगढ़ एवं भारतीय जैन मिलन टीकमगढ़ के संस्थापक सदस्य एवं अध्यक्ष रहते हुए नेत्र शिवरों,स्वास्थ्य शिवरों सहित मानव सेवा की विभन्न गतिविधियों में अग्रणी रहे हैं। जिला योग परिषद् टीकमगढ़ के अध्यक्ष रहते हुए योग और प्राकृतिक चिकित्सा के दर्जनों शिविर आयोजित कर समाज की महती सेवा की है। दयोदय पशु सेवा केन्द्र,गौशाला पपौरा (टीकमगढ़) के संस्थापक महामंत्री और अध्यक्ष रहकर उक्त गौशाला को देश की श्रेष्ठतम गौशाला बनाने में अग्रणी भूमिका निभायी है। भ.महावीर बाल संस्कार केन्द्र एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,टीकमगढ़ के महामंत्री रहकर मूल्य आधारित शिक्षा के प्रति समर्पित रहे हैं।
अखिल भारतीय बुंदेलखंड साहित्य एवं संस्कृति परिषद् , जिला टीकमगढ़ के संरक्षक, म.प्र. तुलसी साहित्य अकादमी, टीकमगढ़, म. प्र. लेखक संघ टीकमगढ़, अखिल भारतीय साहित्य परिषद् टीकमगढ़ एवं वीरेंद्र केशव साहित्य परिषद् के सदस्य रहकर आप साहित्यिक गतिविधियों के संचालन में सहभागी रहते हैं।
हिंदी एवं बुंदेली में आपके लेख, समीक्षाएँ, लोक कथाएँ एवं कविताएं प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। आपने अनेक अभिनन्दन और स्मृति ग्रंथों व लायन्स क्लब टीकमगढ़ की पत्रिकाओं का संपादन किया है। विभिन्न सेमिनारों, संगोष्ठियों को संबोधित करने वालेश्री गोइल अच्छे वक्ता एवं मंच संचालक है। आपको शांति देवी साहित्य सृजन पुरस्कार (महामहिम राज्यपाल म.प्र.शासन के करकमलों से) एवं श्री वीर सिंह जू देव पुरस्कार,ओरछा सहित अनेक साहित्यिक ए्वं सामाजिक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।)
प्रकाशित कृतियाँ के नाम इस प्रकार हैं –
  1. जल ही जीवन है
  2. राष्ट्रीय जागरण के पुरोधा – स्वामी विवेकानन्द
  3. पीर घनेरी (बुंदेली में लोक कथाएँ)
  4. ओरछा राज्य में स्वतंत्रता आंदोलन
  5. अष्टावक्र गीता (संस्कृत सूत्रों का सरस भावानुवाद)
  6. कल्याण पथ प्रदर्शक – तीर्थंकर महावीर (डिजिटल वर्सन)
  7. विषपायी हरदौल (प्रकाशनाधीन)
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